ग्वालियर| राष्ट्रीय संस्था "हिंदी साहित्य भारती" के तत्वावधान में, गत दिवस ऑनलाइन "अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी" का सुंदर आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पूरे देश से जुड़े प्रख्यात साहित्य मनीषियों ने राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत और समसामयिक, राष्ट्रभक्ति और श्रृंगार रस से ओत-प्रोत गीतों एवं कविताओं की काव्यधारा प्रवाहित की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेन्द्र शर्मा तथा मुख्य आतिथ्य डॉ. दिनेश प्रसाद साहजी, बिहार ने किया। जिसका शुभारंभ कादंबरी आर्य द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए योगेन्द्र शर्मा ने इस संस्था के मार्गदर्शक श्रीधर पराडकर, संस्था अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल एवं राष्ट्रीय मीडिया संयोजक डॉ.रमा सिंह द्वारा इस संस्था के गठन एवं सुसंचालन के लिए हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित की।
उन्होंने कार्यक्रम को अप्रतिम बताते हुए कहा, "हिंदी साहित्य भारती" देश के श्रेष्ठ रचनाकारों के साथ सम्मिलित होने, उनको सुनने का अवसर प्राप्त हुआ है। इस प्रकार के कार्यक्रम किसी अन्य मंच पर संभव नहीं है। उन्होंने कोरोना के विरुद्ध पुलिस सेवा में कार्यरत रहते हुए देवेंद्र चंद्रवंशी के बलिदान को भी स्मरण किया तथा कोरोना योद्धाओं पर अपनी भावपूर्ण रचना भी प्रस्तुत की-" शब्दों से रंजित काव्य नहीं , दिल के घावों का दर्पण है। यह पुलिस चिकित्सा सेवा की अभिनंदन का उच्चारण है। स्तुति गान नहीं है शासन का भावों से भीगा कण-कण है.. तथा संस्था के विद्वान एवं यशस्वी अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल के इस संस्था के प्रति उत्कृष्ट योगदान के लिए कृतज्ञता ज्ञापित की।
मुख्यअतिथि के रूप में अपने वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए डॉ. दिनेश प्रसाद साह ने कहा, "हिंदी का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में व्यापक स्तर पर मुख्य संपर्क भाषा की परिभाषा के रूप में वर्षों से होता रहा है। हमारे ऋषि-मुनियों ने भी मन-क्रम-वचन से दया, दान, धर्म का विस्तार इसी भाषा से किया। "हिंदी साहित्य भारती " मंच से विश्व बंधुत्व की भावना से प्रेरित सुंदर उद्देश्य भी समाहित है। सनातन धर्म की व्याख्या करते हुए असहाय,गरीबों एवं लाचारों के लिए सहयोग दृष्टि को ही परम धर्म माना एवं सौहार्द्र के लिए सदा तत्पर रहने का संकल्प सभी को लेने का आह्वान किया।
कविताओं को क्रम में डॉक्टर लता चौहान बेंगलुरु ने सुंदर सुमधुर श्रृंगार- " दिल को मेरे कभी उसने तो.दुखाया ही न था। फैसला था मगर उसने तो निभाया भी ना था.." सुनाकर सभी को भाव विभोर कर दिया। लक्ष्मी शुक्ला, सीतापुर ने श्रृंगार गीत प्रस्तुत किया।" तुमको अपने गीत में, मैं गुनगुनाने चल रही हूं। पिय मिलन की आस प्रिय मन में जगाने चल रही हूं।"
डॉ.बृजेश खरे , प्रयागराज ने अपने बचपन की यादें ताजा करते हुए रचना अपने पिताश्री की स्मृति में भावप्रवण रचना प्रस्तुत की- "जब तुम थे तब मुझे पतंग उड़ाना बहुत अच्छा लगता था। पर आज मैं तुम्हारे बिना कटी पतंग हूँ।" क्रम को आगे बढ़ाते हुए मनु दीक्षित, हाथरस ने ओजपूर्ण भाव में रचना प्रस्तुत करते हुए कहा, "भारत की आन बान शान पर जो आंख उठ जाएगी। तो भारतीय बेटों की जवानी जाग जाएगी।"
मुकेश शांडिल्य ने हास्य घनाक्षरी छंद प्रस्तुत करते हुए कहा, " कौन कहता है यहां काला रंग है खराब काजल को गोरिया आंखों में लगाती हैं। " सुनाकर सभी श्रोताओं को गुदगुदाया । पुष्पेंद्र शरण" पुष्प " ने सुंदर गीत प्रस्तुत करते हुए कहा, " वक्त बदलता है यह सुख दुख आता है, जीवन से धूप छाओं का गहरा नाता है .." सभी को भावुक कर दिया। बहादुरगढ़ से दिनेश बिरथरे ने भारत मां को समर्पित एक रचना प्रस्तुत कर त्याग और राष्ट्र भक्ति की भावना से भर दिया,
"मां का बंटवारा मत करना वह तो सदियों से है घायल। बलिदान हो गए बेटे जो उनके चिंतन में है पागल। "
क्रम को आगे बढ़ाते हुए जगदीश शर्मा 'सहज' अशोकनगर ने- "हर तरफ जिनसे अमन है उन शहीदों को नमन है।" राष्ट्रभक्ति गीत प्रस्तुत किया। मुनेंद्र प्रताप "मंजुल" ने सुंदर एवं प्रेरक गीत पढ़ा- राह बहुत संकरी है बाबू ,सोच समझ कर चलना होगा।"
लक्ष्मीनारायण कोष्ठी ने रचना प्रस्तुत करते हुए कहा," तुम जान हो हमारी, मुस्कान हो हमारी..
कार्यक्रम के अंत में सफल संचालक डॉक्टर सुधीर शर्मा, भोपाल ने सभी का आभार प्रदर्शन करते हुए कहा, काव्य का आनंद पुनीत एवं ब्रह्मानंद के सहोदर जैसा है। उन्होंने एक मुक्तक प्रस्तुत करते हुए कहा पीर के हिमखंड गीतों में गलेंगे ,और फिर आनंद शिशु आंखों में पलेंगे। काल अनुमति दे गया तो फिर कभी, काव्य पथ पर साथ हम फिर-फिर चलेंगे।"
कार्यक्रम में संस्था अध्यक्ष डॉ.रवीन्द्र शुक्ल, मीडिया संयोजिका डॉ. रमा सिंह, डॉ.केशव देव शर्मा, रामचरण" रुचिर", सूरजमल मंगल, डॉ.राजेन्द्र शुक्ल "सहज", डॉ.लता चौहान,/राज किशोर वाजपेई, डॉ सुखदेव माखीजा,
रेखा कक्कड़, उपेंद्र कस्तूरे, वी.पी.सिंह जादौन गुना,अविनाश साहू, वंदना गुप्ता,अशोक गोयल, जगदीश शर्मा, ,रमा वर्मा, डॉ. जमुना कृष्णराज,कमलेश मौर्य "मृदु" एवं डॉ. लता स्वरांजलि आदि सहित समूह के सभी सदस्यों ने ऑनलाइन कवि सम्मेलन का रसास्वादन करते हुए अपनी प्रतिक्रियाएँ देकर कवियों का उत्साहवर्धन किया।
"हिंदी साहित्य भारती" का अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी कार्यक्रम संपन्न